Haryana

हरियाणा में ढुलमुल कामकाजी अधिकारियों के लिए नया आदेश: जबरन रिटायरमेंट की प्रक्रिया शुरू

Haryana Darshan: हरियाणा सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एक सख्त कदम उठाया है, जिसमें 50 साल से अधिक उम्र के अधिकारियों और कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर समीक्षा की जाएगी। इस आदेश के बाद ढुलमुल काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों पर जबरन रिटायरमेंट की तलवार लटकने लगी है। इस पहल को लेकर राज्य सरकार ने हर विभाग, बोर्ड और निगम में समीक्षा कमेटियां गठित करने का निर्णय लिया है।

📝 समीक्षा कमेटियां बनीं

मुख्य सचिव डॉ. विवेक जोशी ने हाल ही में एक मीटिंग के दौरान अधिकारियों को निर्देशित किया कि 50 साल से ज्यादा उम्र वाले अधिकारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मामलों की समीक्षा के लिए संबंधित विभागों में कमेटियां गठित की जाएं। यह कमेटियां ढुलमुल कामकाजी कर्मचारियों के मामलों का गहनता से मूल्यांकन करेंगी, ताकि उचित कार्रवाई की जा सके।

🔒 लिटिगेशन पॉलिसी का गठन

इसके अलावा, राज्य सरकार ने लिटिगेशन पॉलिसी को तैयार करने की भी योजना बनाई है, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों से जुड़े मामलों में स्पष्टता और तेजी लाना है। डॉ. जोशी ने यह जानकारी दी कि लिटिगेशन पॉलिसी बनने से सरकारी मामलों में जटिलता और समय की बर्बादी को कम किया जा सकेगा।

🕰️ जबरन रिटायरमेंट का इतिहास

हरियाणा सरकार ने वर्ष 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा एक पॉलिसी में संशोधन किया था। इस संशोधन के अनुसार, 50 साल से अधिक उम्र के उन कर्मचारियों को जबरन रिटायर किया जा सकता है, जो अपने काम में ढुलमुल रवैया अपनाते हैं या फिर जो किसी कारणवश कामकाजी दबाव का सामना नहीं कर पाते।

📊 यह कदम क्यों जरूरी था?

हरियाणा सरकार के इस कदम का मुख्य उद्देश्य राज्य के सरकारी कर्मचारियों के कार्य प्रदर्शन में सुधार लाना है। सरकारी विभागों में कुछ कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों में ढिलाई बरत रहे थे, जिससे कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था। इसके साथ ही, सरकारी महकमों में पारदर्शिता बनाए रखना भी सरकार की प्राथमिकता है।

📅 विभागों में बदलेंगे कामकाजी माहौल

यह कदम सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ा बदलाव लेकर आएगा। अब सरकारी कर्मचारियों के कार्य प्रदर्शन को लेकर सरकार ज्यादा सख्ती बरतेगी। समीक्षा कमेटियों के गठन से विभागों में कार्य प्रणाली में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। कर्मचारियों की कार्यकुशलता और निष्ठा पर यह निर्णय सकारात्मक प्रभाव डालने वाला साबित हो सकता है।

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